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मूत्रपिंड का मेरीडियन

 

मूत्रपिंड का मेरीडियन (किडनी मेरिडियन) प्रतिबिम्ब बिन्दु शरीर पर इस प्रकार होता है-

(मूत्रपिंड का मेरीडियन (किडनी मेरिडियन) प्रतिबिम्ब (के) तथा उस पर स्थित कुछ मुख्य प्रतिबिम्ब बिन्दुओं का चित्र)

          चित्र के अनुसार मूत्रपिंड के मेरीडियन के प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर प्रेशर देने से निम्नलिखित रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। मूत्रपिंड का मेरीडियन (किडनी मेरिडियन) के प्रतिबिम्ब बिन्दु पैर के तलुवों के अंगूठे के नीचे से शुरू होकर घुटने के नीचे की तरफ से होते हुए, लिंग के पास से होते हुए, छाती के पास तक फैले रहते हैं।

मूत्रपिंड का मेरीडियन (किडनी मेरिडियन) के प्रतिबिम्ब बिन्दु तथा उससे सम्बन्धित ठीक होने वाले रोग इस प्रकार है-

प्रतिबिम्ब बिन्दु

 

ठीक होने वाले रोग

के-1 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु पैर के तलुवों के नीचे अंगूठे से थोड़ा नीचे की ओर होता है।

 

गला सुन्न होना, नाक से खून निकलना, शरीर में अकड़न तथा दर्द होना, गला सूखना, अधिक प्यास लगना, छोटी आंत में दर्द, टखनों का दर्द, पंजे में तेज दर्द, भूख न लगना, पेट में दर्द, पीलिया, छाती तथा पसलियों में दर्द तथा भारीपन महसूस होना, चक्कर आना, खांसी, कब्ज, पेशाब रुक जाना, खसरा, उच्च रक्तचाप, चेहरा लाल पड़ना, शरीर के कई अंगों का ठंडा पड़ जाना, बेहोशी, डर लगना, पागलपन की अवस्था होना, मिर्गी, लकवा, सिर तथा गर्दन में दर्द होना तथा खाना खाते समय गले में दर्द होना।

के-2 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-1 से थोड़ा ऊपर की ओर होता हैं।

 

टांगों में दर्द होना, पैरों का ठंडा तथा नम पड़ जाना, नपुसंकता, अनियमित मासिकधर्म, रजोनिवृति, बच्चों का अधिक पेशाब करना, रात के समय में अधिक पसीना आना, डायरिया, अतिसार, पेट में तेज दर्द, खांसी के साथ खून निकलना, पैरों तथा टांगों में दर्द, गले के अंदरूनी भाग में सूजन, गले की सुन्नता तथा छाती में दर्द।

के-3 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु पैर के टखने से थोड़ा ऊपर की ओर होता हे।

 

अनियमित मासिकधर्म, श्वेतप्रदर, असमय लिंगोत्थान या कब्ज, अनिद्रा, आंखों से साफ-साफ दिखाई न देना, अस्थमा, सिर में दर्द, माइग्रेन, गला सूखना, उदासीनता, रात के समय में मिर्गी के दौरे पड़ना तथा पेट के निचले भाग में दर्द होना।

के-4 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-3 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

दूर दृष्टिदोष, मासिकधर्म के समय पेट में तेज दर्द, नपुंसकता, आंखों से साफ-साफ दिखाई न देना।

के-5 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-4 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

गले में अवरोध के कारण कुछ खाने में परेशानी होना, गले में घरघराहट, सोने की ज्यादा इच्छा करना, मानसिक परेशानी, उदासी, भयभीत होना, हर समय घर में रहने की इच्छा करना, खाना खाते ही उल्टी कर देना, रीढ़ की हड्डी में अकड़न तथा दर्द, एड़ी में सूजन तथा दर्द, कब्ज, मुंह में गर्मी तथा जलन, जीभ सूखा लगना, छाती मे सूजन तथा सांस लेने में परेशानी और हीनभावना होना।

के-6 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-5 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

पसीना अधिक निकलना तथा इसके साथ-साथ बुखार रहना, हर समय सोने की इच्छा करना, गला सूजना, नपुंसकता, अनियमित मासिकधर्म, दांत दर्द, दोनों टांगों में सूजन हो जाना, एड़ी में दर्द तथा सूजन, बुखार ठीक होने के बाद पैरों में ठंड लगना, एनोरेक्सिया, हाथों का ठंडा होना, खांसी, हृदय में तेज दर्द, पेशाब पीले रंग का होना तथा शौच करते समय काफी दिक्कत होना।

के-6 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-5 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

पीठ तथा पेट में दर्द, आंखों से धुंधला दिखाई देना, शीघ्र क्रोधित हो जाना, सूखी जीभ, पैरों में ठंड लगना, पैरों में लकवा होना तथा बच्चों का लकवा, सुजाक रोग, बवासीर, पेट में तेज गड़गड़ाहट, मोटापा, शरीर से लगातार पसीना निकलना, हिचकी, कब्ज, अतिसार, गैस बनना, पेशाब करने में कठिनाई होना, अपच तथा बेहोशी के दौरे पड़ना।

के-8 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-7 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

जांघों तथा पैरों में दर्द, सुजाक, कब्ज, आंव, अतिसार के साथ रक्त निकलना, पेट के एक भाग में दर्द होना, योनि में से सफेद पानी आना, रजोनिवृति, अनियमित मासिकधर्म, रजोविकृति तथा योनि से लाल तथा सफेद पानी निकलना।

के-9 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-8 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

जीभ में सूजन होना, श्लेष्मायुक्त  उल्टी, पैरों में दर्द तथा टांगे अधिक कमजोर होना।

के-10 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-9 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

पेट में तेजी से गड़गड़ाहट होना, नपुंसकता, गहरा पीला मूत्र, योनि से लगातार पानी आना, रजोनिवृति, मुंह से अधिक थूक निकलना, जांघों में दर्द, घुटनों के भीतरी भाग में दर्द तथा पेट और गुप्तांगों में दर्द होना।

के-11 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-10 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

आंखे लाल होकर दर्द होना, गुदा में दर्द होना, अधिक देर तक खड़े होने में दर्द महसूस करना, पेट के निचले भाग में दर्द, पेट की सूजन, लिंग में दर्द तथा रजोविकार।

के-12 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-11 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

गर्भधारण न कर पाना, योनि से लाल रंग का स्राव होना, आंखें लाल होकर दर्द करना, पेट के निचले भाग में दर्द तथा सूजन, लिंग में दर्द तथा स्त्रियों को अधिक ठंड महसूस होना।

के-13 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-12 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

आंखे लाल होकर दर्द करना, अनियंत्रित डायरिया, नपुसंकता, लिंग में दर्द, गर्भधारण न कर पाना, अनियमित मासिकधर्म तथा पिंडलियों में तेज दर्द होना।

के-14 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-13 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

ठंड के कारण अधिक कंपकपी महसूस होना, रजोनिवृति, अनियमित मासिकधर्म, रजोविकार, पेशाब रुक जाना, हर्निया, पतले दस्त, अपच (भोजन का न पचना) तथा पेट के निचले भाग में तेज दर्द होना।

के-15 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-14 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

आंखे लाल होकर दर्द करना, शरीर में ऊर्जा की कमी होना, उंगलियों के जोड़ों में दर्द तथा सूजन, पेट तथा पेड़ू में दर्द, अनियमित मासिकधर्म, पेट के ऊपरी भाग में दर्द तथा गर्मी महसूस होना, कब्ज, कोलाइटिस तथा पेशाब का रुक जाना।

के-16 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-15 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

कब्ज, डायरिया, एसिडिटी, पीलिया, आंखों में संक्रमण, उदासीपन, अधीरता तथा पेट में सूजन तथा दर्द।

के-17 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-16 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

आंखों में किसी प्रकार का संक्रमण होना, पेट में सूजन तथा भारीपन, कब्ज तथा डायरिया, एसिडिटी, एनोरेक्सिया तथा पीलिया

के-18 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-17 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

पाचन शक्ति का कमजोर पड़ना, हिचकी आना, पेट तथा प्लीहा में खालीपन महसूस होना, एनोक्सिया, सांस लेने में कठिनाई होना, खाना खाते ही उल्टी कर देना, पेट में तेज दर्द होना, कब्ज, आंखे लाल होकर दर्द होना, सुजाक, बांझपन तथा गहरा पीले रंग का पेशाब आना।

के-19 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-18 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

हृदय के नीचे के भाग में असहजता का अनुभव होना, पेट में टयूमर होना, उल्टी आना, गैस बनना, सांस लेने में दिक्कत होना, आंखे लाल होकर दर्द करना, पीलिया, पेट में गुड़गुड़ करना तथा पेट का अल्सर

के-20 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-19 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

पसलियों में दर्द, जम्हाइयां आना, मुंह सूख जाना, बोलने में दिक्कत होना, डायरिया, पाचनशक्ति कमजोर होना, पेट का अल्सर, आंखों का संक्रमण रोग, गर्दन अकड़ना तथा डर के कारण शरीर का कांपना।

के-21 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-20 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

पेट का ऊपरी भाग सूजा तथा भरा हुआ लगना, अतिसार के साथ रक्त आना, पेट का अल्सर, पीलिया, प्रसवकाल के समय होने वाली उल्टी, स्तन की गांठ, स्तन में मवाद बनना, स्तनों से दूध बाहर आना, आंखे लाल होकर दर्द करना, छाती में दर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय के निचले भाग में भारीपन महसूस होना तथा खाना खाने में कठिनाई होना।

के-22 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-21 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

नाक का बंद हो जाना, अधिक नींद आना, उल्टी आना, एनोरेक्सिया, शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाना, स्तनों में जलन, छाती तथा पसलियों में भारीपन, खांसी, अस्थमा तथा बांह को ऊपर उठाने में दिक्कत होना।

के-23 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-22 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

छाती का भारी होना, सांस लेने में दिक्कत महसूस होना, ब्रोंकाइटिस, स्तन में ट्यूमर, एक साथ ठंड तथा गर्मी महसूस होना, वमन, एनोरेक्सिया, अधिक नींद आना, हृदय में दर्द होना, नाक बंद हो जाना तथा खांसी होना।

के-24 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-23 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

एनोरेक्सिया, उत्तेजना बढ़ना, नाक बंद होना, नींद न आना, उल्टी आना, प्लूरिसी, ब्रोंकाइटिस, लगातार खांसी होना तथा छाती और फेफड़ों में दर्द होना।

के-25 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-24 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

एनोरेक्सिया, रात के समय में पेट में गड़बड हो जाना, चिंता के कारण नींद न आना, कहीं घूमने की इच्छा न करना, अधिक कमजोरी महसूस होना, आवाज कम सुनाई पड़ना, ब्रोंकाइटिस, छाती तथा पसलियों में भारीपन तथा खांसी के साथ सांस लेने में कठिनाई महसूस होना।

के-26 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु के-25 से थोड़ा ऊपर की ओर होता है।

 

बोलने में दिक्कत महसूस होना, लगातार खांसी होना, मुंह से लगातार थूक निकलना, स्पंदन, छाती पर भारीपन महसूस होना, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना, जल्दी गुस्सा आ जाना, रात के समय में अधिक पसीना आना, स्तनों में गांठ पड़ जाना, ब्रोंकाइटिस, छाती तथा पसलियों में भारीपन सा लगना, खांसी तथा सांस लेने में दिक्कत होना।

के-27 यह प्रतिबिम्ब बिन्दु छाती के पास होता है।

 

अधिक मानसिक काम करने के कारण सिर में दर्द, मासिकधर्म से पहले होने वाला तेज दर्द तथा तनाव, अचानक उछल पड़ना, जीभ में दर्द होना, एनोरेक्सिया, उल्टी आना, अस्थमा, छाती में दर्द होना, खांसी, छाती का भारी लगना तथा सांस लेने में दिक्कत होना।


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