आसन के अभ्यास की विधि :-
भूनमनासन का अभ्यास स्वच्छ वातावरण व स्वच्छ हवा के बहाव वाले स्थान पर करें। इस आसन के लिए उपयुक्त स्थान पर चटाई या दरी बिछाकर बैठ जाएं। अब अपने दोनों पैरों को दोनों बगल में जितना सम्भव हो फैलाएं। फिर आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को फैलाकर दोनों पैरों के पंजों को या अंगूठे को पकड़ लें। अब सांस को छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने शरीर को आगे की ओर झुकाकर सिर को फर्श पर टिकाने की कोशिश करें। साथ ही कंधे और छाती को भी फर्श पर लगाकर लेट जाएं। इस स्थिति में तब तक रहें, जब तक आप रहना चाहें। इस आसन के अभ्यास की शुरूआत में पैरों को फैलाने में परेशानी हो तो, पैरों को उतना ही फैलाएं जितना सम्भव हो। इसका अभ्यास करें और धीरे-धीरे पैरों को अधिक फैलाने की कोशिश करें।
इस आसन से लाभ :-
इस आसन के अभ्यास से कमर पतली, लचीली, सुडौल व सुंदर बनती है, जिससे शरीर को रबड़ की तरह से मोड़ा जा सकता है। यह आसन उनके लिए भी अधिक लाभकारी है जो नृत्य आदि कलाओं को सीखता है। इस आसन से बवासीर की शिकायत दूर होती है तथा मूत्र (पेशाब) सम्बन्धी बीमारियां दूर होती है।
सावधानी-
भूनमनासन का अभ्यास उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर), हृदयरोग, कमरदर्द व गर्दन दर्द वाले व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।