परिचय-
संभोग क्रिया के समय पति-पत्नी जब एक-दूसरे को पूर्ण रूप से सहयोग देकर भरपूर आनन्द प्राप्त करते हैं तो उनका संबंध एक-दूसरे के प्रति बहुत अधिक गहरा होता है। इस क्रिया में पुरुष को मुख्य रूप से सेक्स का कर्ता माना गया है। इसलिए इस क्रिया में पुरुष का तो पूरा सहयोग होता ही है लेकिन इसके साथ-साथ इसमें स्त्री का भी सहयोग होना बहुत आवश्यक है। आज भी भारत जैसे देश में यह देखा गया है कि स्त्रियों में सेक्स को लेकर अभी तक खुलापन नहीं आ पाया है। आज सेक्स क्रिया में पुरुष जैसा तरीका अपनाता है, ठीक वैसा तरीका बहुत सी स्त्रियां नहीं कर पाती हैं। इस प्रकार के व्यवहार के बावजूद भी वे सुख देती और लेती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जो संभोग क्रिया के समय में एकदम खामोश पड़ी रहती हैं। ऐसा लगता है कि उसके शरीर में प्राण ही नहीं है। उनका हृदय तो धड़कता रहता है लेकिन उसमें सेक्स के प्रति भावनाएं महसूस नहीं होती हैं और न ही अनुभूति होती है। ऐसी स्त्रियां बेजान मूर्ति की तरह पड़ी रहती हैं। ऐसी स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया करते समय पुरुष को ऐसा लगता है कि मानो वह किसी निर्जीव शरीर से संभोग कर रहा है। ऐसी स्त्रियों को कम उत्तेजना वाली स्त्री कहते हैं।
कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जोकि सेक्स के समय में किसी प्रकार का सहयोग नहीं देती हैं। ऐसी स्त्रियों का विवाह हो जाता है तो वह अपने पति से भी सेक्स संबंध बनाना नहीं चाहती लेकिन वह अपने पति को मना भी नहीं कर पाती। वह सेक्स संबंध बनाने से अपने पति को इसलिए मना नहीं कर पाती क्योंकि पहली रात के दिन अपने तन को पति को सौंपना एक मजबूरी हो जाती है लेकिन संभोग क्रिया के समय वह अपनी ओर से न तो कोई सहयोग देती है, न ही रुचि लेती है और न ही किसी प्रकार से उत्साह दिखाती है। उस रात अगर पति उससे कोई बात भी करना चाहता है तो वह उसे भी ठीक प्रकार से सुनना नहीं चाहती। उस समय तो उसकी यह इच्छा तथा कामना होती है कि उसका पति उसे छोड़ दे तथा एक तरफ जाकर लेट जाए। वह मन ही मन सोचती है कि जितना जल्दी हो सके पति जी मुझे छोड़कर, अपना काम करके एक तरफ होकर लेट जाए। बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ऐसी स्त्रियां सेक्स क्रिया करते समय पति को कुछ भी सहयोग नहीं देती लेकिन जैसे-जैसे सेक्स क्रियाएं बढ़ने लगती हैं, उसके शरीर से पति छेड़खानी करने लगता है वैसे-वैसे संभोग क्रिया में वह अपने आप को शामिल करने लगती है। ऐसी स्त्रियां जब सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं तो पति को कसकर सीने से लगा लेती हैं, सीने से भींचने तथा कंठ से मदहोशी भरी सिसकियां लेने लगती हैं। जब वह पूरी तरह से चरम सुख की ओर बढ़ने लगती हैं तो अधिक से अधिक सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं। उसकी शरीर की उत्तेजना इस समय और भी तेज हो जाती है तथा अंत में फिर मूर्ति के समान निर्जीव हो जाती है। लेकिन इस समय उसका चेहरा शांत और आनन्द से भरा हुआ लगता है। सेक्स चिकित्सकों का यह भी मानना है कि जो स्त्रियां संभोग क्रिया के समय अधिक आनन्द और उत्तेजना प्राप्त करती हैं, पति के प्रति उसका लगाव उतना ही अधिक और प्यार भरा होता है। संभोग क्रिया शुरू करते समय या भरपूर आनन्द लेने के बाद भी ऐसी स्त्रियों के शरीर में किसी प्रकार की कोई भी हलचल दिखाई नहीं देती है। जब पति संभोग क्रिया को समाप्त करता है तो वह चैन की सांस लेती है और मन ही मन सोचती है कि आज रात तो बच गई या बला टली।
ऐसी स्त्रियों के संभोग क्रिया करने से पुरुष को किसी प्रकार का सेक्स का आनन्द नहीं मिलता है। कई बार तो ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि स्त्री के साथ पुरुष को संभोग क्रिया करने का मन नहीं करता। पति को ऐसी स्त्रियों से बहुत अधिक नाराजगी होती है और दोनों में एक-दूसरे के प्रति बहुत अधिक अनबन भी होने लगती है। अक्सर ऐसे पति-पत्नी एक-दूसरे से बहुत अधिक नाखुश होते हैं।
संभोग क्रिया वह प्रक्रिया होती है जिसमें शरीर और मन दोनों को ही ऊर्जा प्राप्त होती है। इस क्रिया में वह सुख और आनन्द मिलता है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान बनाये रखने की शक्ति होती है। यदि संभोग क्रिया के दौरान इस प्रकार का सुख नहीं मिलता है तो पति-पत्नी दोनों के ही जीवन में इसका कोई महत्व नहीं रह जाता है। ऐसे दम्पतियों में कई अवसरों पर तो यह भी देखा गया है कि पति किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाने पर मजबूर हो जाता है और अपनी पत्नी को तलाक देने के लिए सोचने लगता है।
आज के समय में इस तरह की स्त्रियों की संख्या बढ़ने लगी है। सेक्स क्रिया से संबंधित कई प्रकार के रोग स्त्रियों को होने के अलावा पुरुषों को भी अधिक हो रहे हैं। कुछ पतियों की पत्नी तो सेक्स क्रिया के समय में उत्तेजना भरी व्यवहार करती हैं। ऐसे संबंध पतियों को अच्छे नहीं लगते हैं क्योंकि इस संबंध से उन्हें सेक्स का पूरा सुख नहीं मिलता है। बहुत से ऐसे पुरुष भी देखे गये हैं जो स्त्रियों में उत्तेजना लाने की औषधि लेने के लिए चिकित्सक से बातें करते हैं। वे चिकित्सक से यह भी पूछते हैं कि मेरी पत्नी में सेक्स उत्तेजना क्यों नहीं है। ऐसा होने का क्या कारण है?
वैसे देखा जाए तो पति-पत्नी दोनों में से किसी को भी सेक्स समस्या है तो इससे दोनों ही पक्ष प्रभावित होते हैं। क्योंकि सेक्स क्रिया में पति-पत्नी दोनों का ही योगदान बराबर होना चाहिए, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। आपने बहुत से लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है, इसके लिए दोनों हाथ का होना जरूरी होता है। अतः इस उदाहारण से यह स्पष्ट हो जाता है कि सेक्स क्रिया में भी पति-पत्नी दोनों का बराबर भागीदारी होनी जरूरी है तभी वे भरपूर सेक्स का आनन्द ले पायेंगे।
सेक्स क्रिया में यदि किसी भी दम्पति को संभोग क्रिया का पूरा आनन्द न मिले तो इसके लिए किसी एक को जिम्मेदार मानना उचित न होगा। वैसे हम यहां पर केवल स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने की चर्चा कर रहे हैं। वैसे स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने का जिम्मेवार कुछ रूप से पुरुष भी होता है क्योंकि यदि किसी की पत्नी को कामोत्तेजना कम होने की समस्या हो तो उसे अपनी पत्नी से नाराज न होकर उससे खुलकर बात करनी चाहिए कि आखिर किस कारण से तुम्हें सेक्स से डर लगता है, क्या कारण है या कोई समस्या है तो मुझे बताओं, मैं उसका समाधान निकाल सकता हूं। किसी भी समस्या का हल तभी हो सकता है जब आपको समस्या का कारण, लक्षण या होने का समय ठीक तरह से पता लग जाये। पत्नी से आपको उसके रोग के बारे में पता लगाने से यह मालूम हो जायेगा कि उसकी कामोत्तेजना कम होने का क्या कारण है और इन कारणों का पता लग जाने पर ही आप उनका ठीक ढंग से इलाज करा सकते हैं।
वैसे देखा जाए तो स्त्रियां अचानक से कामोत्तेजना कम होने का शिकार नहीं होती है, बल्कि इसके होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जो एक लम्बे समय बाद स्त्री को कामोत्तेजना कम होने की ओर धकेल देती है। जब स्त्री-पुरुष के सेक्स संबंध में स्त्री किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती है तो उसे ही कामोत्तेजना कम होना कहा जाता है।
स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होने के कुछ कारण -
स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के उपाय-
- पारिवारिक तथा सामाजिक संस्कारों के कारण से बहुत-सी स्त्रियां सेक्स के बारे में अपने विचारों का खुलासा नहीं कर पाती और न ही विचारों को व्यक्त ही कर पाती हैं। इसके बावजूद जब उनकी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तब इसका असर सेक्स क्रिया के दौरान दिखाई पड़ता है। इन सभी कारणों की वजह से ही उनमें कामशीतलता की कमी आ जाती है।
- स्त्रियों में कामोत्तेजना कम होने के कारण यदि उसे मानसिक रोग हो गया हो तो इस मानसिक रोग होने के पीछे पुरुष भी जिम्मेदार होता है क्योंकि कभी-कभी वह अपनी गलतियों को पत्नी पर ही थोपता है, अपनी गलतियों को स्वीकार तक नहीं करता। बहुत से पुरुष तो यह सोचते हैं कि सेक्स क्रिया के द्वारा आनन्द लेने में स्त्रियों का कोई लेना देना नहीं है। यह केवल पुरुषों के लिए होता है। इस कारण से वे अपनी स्त्रियों का कुछ भी ख्याल नहीं करते हैं जिसकी वजह से उनकी स्त्रियां इस रोग का शिकार हो जाती हैं।
- पति-पत्नी यदि सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हों और किसी कारण से उसके पति को यौन दुर्बलता हो जाए या किसी दुर्घटना के कारण से वह अपनी पत्नी को सेक्स सुख देने में असमर्थ हो गया हो तो इस स्थिति में उसकी पत्नी कभी भी चरमानन्द प्राप्त नहीं कर पाती है। इतना होने के बावजूद अपनी दुर्बलता का इलाज करवाने को प्रेरित करती हैं लेकिन कई बार उसका पति यह मानने के लिए तैयार नहीं होता है क्योंकि यौन कमजोरी से वह ग्रस्त होता है। ऐसी स्थिति में जब वे दोनों एक-दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाते हैं तो पति की उत्तेजना तुरंत ही शांत हो जाती है। स्त्री बिस्तर पर इस प्रकार से छटपटाती रहती है जैसे पानी के बिन मछली छटपटाती रहती है। जब यह स्थिति स्त्री के साथ प्रतिदिन होने लगती है तो उसे सेक्स से नाराजगी होने लगती है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि वह पुरुष को ज्यादा जोर देकर इलाज करने को कहती है तो वह उस पर उल्टा गुस्से में चिल्लाने लगता है और उल्टा उस पर कई आरोप लगा देता है। वह अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए कई बार तो यह भी कह देता है कि तुझमें कोई दोष है। इस प्रकार की बातों को सुनकर वह शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूप से सेक्स से नाराज रहती है। वह मन में यह भी सोचती है कि उनको मेरा कुछ भी ख्याल नहीं, वे केवल मुझे उपभोग का केवल एक वस्तु समझते हैं, उन्हें मेरी सुख से कोई मतलब नहीं है और न ही मेरी कोई चिंता करते हैं। इस सबको देखते हुए वह अपने आप को स्थितियों के अनुसार ढा़ल लेती है जिसके कारण से उसकी इच्छाएं और संवेदनाएं समाप्त हो जाती हैं।
- कई बार तो यह भी देखा गया है कि कई स्त्रियां शादी करके सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करती हैं लेकिन जब उसका पति उससे दूर होता है या कुछ समय के लिए उसे छोड़कर चला जाता है तो उस समय यदि कोई उसका बलात्कार कर देता है तो इस स्थिति में उसे गहरी चोट पहुंचती है और सदमे में खो जाती है। उसके अन्दर की सेक्स भावना खो जाती है तथा कमशीतलता का दोष उसके अन्दर विकसित हो जाता है।
- कुछ स्त्रियां तो छोटी उम्र में इतनी नादान होती हैं कि सेक्स उत्तेजना की भावनाओं में बहकर सेक्स संबंध बनाने की भूल कर बैठती हैं। यह सेक्स संबंध वह इसलिए बना लेती हैं कि उसका साथी मित्र उसे यह आश्वासन देता है कि मैं तुमसे शादी कर लूंगा, मैं तुम्हें मरते जन्म तक साथ दूंगा, हमें कोई भी जुदा नहीं कर सकता है क्योंकि हम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। इसी कारण से वह स्त्री बहकावे में आकर उस पुरुष से सेक्स संबंध बना लेती है और गर्भवती हो जाती है। जब ऐसी स्थिति आ जाती है तो पुरुष उससे विवाह करने से मना कर देता है। जब यह बात लड़की के माता-पिता को पता चलता है तो वे अपनी लड़की को बहुत अधिक मारते-पीटते तथा डाटते हैं और यह भी कहते हैं कि तूने तो हमारे खानदान की नाक कटवा दी। इस स्थिति में लड़की को इतना अधिक मानसिक आघात होता है कि वह पुरुषों से नफरत करने लगती है। इतना ही नहीं उसके माता-पिता जल्दी-जल्दी में उसकी शादी किसी और लड़के से तय कर देते हैं। इस स्थिति में लड़की जो पुरुष से नफरत करती है, उससे उसका पति जब सेक्स क्रिया करता है तो वह पुतले के समान चुप-चाप पड़ी रहती है क्योंकि इस समय उसके अन्दर की सेक्स भावाना मर चुकी होती है।
- कुछ स्त्रियों को छोटी उम्र में बलात्कार होने का कारण से सेक्स क्रिया से डर लगने लगता है। जिस समय उनके साथ बलात्कार होता है उस समय तो उनके शरीर का बिल्कुल भी विकास नहीं हो पाता और ऐसी स्थिति में बलात्कार का डर तथा वह मंजर उसके मन में बैठ जाता है। इस बलात्कार की तस्वीर उसके मन में बैठ जाती है। धीरे-धीरे जब वह बालिग हो जाती है तो उसकी शादी होने का बाद जब उसका पति उससे सेक्स क्रिया करने का प्रयास करता है तो बलात्कार की तस्वीर उसे याद आने लगती है जिसके कारण से उसके शरीर में कम्पन पैदा होने लगता है तथा शरीर पूरा ठंडा पड़ा रहता है।
- बहुत-सी स्त्रियां तो ऐसी होती हैं जो ममता और घर के कामों के बोझ के कारण से इतना अधिक दब जाती हैं कि उनमें सेक्स के प्रति इच्छा ही समाप्त हो जाती है। वह घर के काम-काज और मानसिक बोझ से इतनी अधिक थक जाती है कि पति उसके साथ सेक्स क्रिया करता है तो थकावट के कारण से सेक्स क्रिया में बिल्कुल भी भाग नहीं लेती। जब यही प्रक्रिया कुछ दिनों तक लगातार चलता रहता है तो उसके मन से सेक्स के प्रति उत्साह नहीं रहता है जिस कारण से उसके शरीर में सेक्स शीतलता आ जाती है।
- कुछ स्त्रियों को सेक्स के प्रति बिल्कुल भी ज्ञान नहीं होता है, वे अपने मन में कई भम्र पाल के रखती हैं। ऐसी स्त्रियां कभी-कभी यह सोचती रहती हैं कि अधिक सेक्स करने से पुरुष के शरीर में कमजोरी आ जाती है। इसलिए वह अपने पति को सेक्स करने से मना करती हैं। ऐसा करते-करते जब उसे कई दिन हो जाता है तो उसके मन में सेक्स के प्रति क्रोध पनपने लगता है जिसके कारण उसके शरीर में सेक्स की उत्तेजना कम होने लगती है। ऐसी स्त्री से जब सेक्स किया जाता है तो वह उस समय किसी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती और चुपचाप पुतले के समान बिस्तर पर पड़ी रहती है।
- बहुत से स्त्रियों में सेक्स की उत्तेजना बिल्कुल भी नहीं होती है लेकिन उसके शरीर में पति-धर्म कूट-कूटकर भरा रहता है, इसलिए उसमें सेक्स उत्तेजना न होने के बावजूद भी वह पति से इस क्रिया के विषय में विरोध नहीं करती है। जैसा उसका पति चाहता है वैसा ही उसके साथ करता है, जिसके कारण से उसमें सेक्स के प्रति बची-खूची उत्तेजना भी खत्म हो जाती है।
- कुछ स्त्रियां तो ऐसी भी होती हैं जिनमें सेक्स के प्रति उत्तेजना ही नहीं होती है और उनके मन में सेक्स के प्रति उमंग और उत्साह की कमी हो जाती है। वह सेक्स क्रिया को केवल बच्चा पैदा करने की क्रिया ही मानती हैं तथा वह यह समझती हैं कि जब बच्चा पैदा हो जाए तो इसे करना बेकार है। उसे सेक्स के चरमसुख के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं होता है और न ही किसी प्रकार की इस क्रिया में जोश दिखाती है तथा इसके बारे में जानने का कुछ भी प्रयास करती है। ऐसी स्त्री के साथ यदि पुरुष जबर्दस्ती सेक्स करता रहता है तो वह इस क्रिया से इस कदर नफरत करने लगती है कि उसके शरीर से कामशीलता पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
- कई बार तो परिवार में अधिक धार्मिक माहौल तथा अंधविश्वास होने के कारण से भी स्त्री में शीतलता का रोग हो सकता है। उनके इस रोग के होने का सबसे ज्यादा जिम्मेदार उसके परिवार वाले ही होते हैं क्योंकि उस परिवार में वह अधिक पूजा-पाठ में लीन रहती है, सप्ताह में एक-दो दिन व्रत रखती है और सेक्स से दूर रहना ही पसंद करती है। यदि उसका पति उससे सेक्स क्रिया करने के लिए जोर जबर्दस्ती करता है तो वह तैयार नहीं होती, जिस दिन वह व्रत रखती है, उस दिन तो वह बिल्कुल ही तैयार नहीं रहती। स्त्री इसे पाप समझकर इससे नफरत करने लगती है और उसके मन में सेक्स के प्रति धीरे-धीरे भावना कम होने लगती है। इस समय यदि कोई विशेष घटना हो जाती है तो वह इसे इस पाप का ही फल समझ बैठती है जिसके कारण वह सेक्स से पूरी तरह नफरत करने लगती है। इस कारण से उसके शरीर में सेक्स उत्तेजना भी खत्म हो जाती है और वह शीतलता का शिकार हो जाती है।
- स्त्रियों के सामने कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि उनका पति उनसे यौन संबंध न करके गुदामैथुन या मुखमैथुन ही करता है। बहुत सी स्त्रियों को इससे घृणा महसूस होती है जिसके कारण से वे किसी प्रकार की उत्तेजना भी महसूस नहीं करती है। इसके अलावा उनका पुरुष जब उनसे जबर्दस्ती मनमानी करता है या जबरदस्ती गुदामैथुन करता है या मुखमैथुन करता है जिसके कारण से स्त्री के मन में अपने पति के प्रति बहुत अधिक घृणा महसूस होने लगती है। इसके अतिरिक्त उसके अंदर सेक्स की इच्छा भी खत्म होने लगती है जिसके कारण से उसे शीतलता का रोग हो जाता है।
- जब किसी स्त्री को सेक्स संबंधों के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है तो स्त्री में शीतलता आ जाती है। लेकिन शादी के बाद जैसे-जैसे दिन बीतने लगते हैं और सेक्स क्रिया का आनन्द लेने के बाद जब दम्पति बच्चेदार हो जाते हैं तो इन दम्पतियों पर घर की जिम्मेदारियां इतनी अधिक बढ़ जाती हैं कि उन्हें आपस में सेक्स करने का समय ही नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में पुरुष अधिकतर सेक्स को विशेष महत्व नहीं देते तथा अपने शरीर का बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं, शरीर की साफ-सफाई भी ठीक ढंग से नहीं करते, दाढ़ी भी बढ़ा लेते हैं और उन्हें जब भी इच्छा होती है वैसे ही हालत में अपनी पत्नी से सेक्स करने के लिए चालू हो जाते हैं। वह न ही स्थान, न ही पंलग, न ही स्थितियां, किसी का भी ख्याल नहीं करते और अपनी पत्नी से सेक्स करने लगते हैं, जिसके कारण से पत्नी सेक्स के प्रति बोरियत महसूस करने लगती है। उसमें सेक्स क्रिया के प्रति कम उत्तेजना होने लगती है।
- 9. कई बार तो यह भी स्थिति देखने को मिलती है कि किसी-किसी स्त्री का पति शराबी होता है जिसके कारण से वह अपनी पत्नी को सेक्स का आनन्द नहीं दे पाता और इस कारण से उसकी पत्नी को कामशीतलता का रोग हो जाता है। कई पुरुष तो ऐसे होते हैं जो कई प्रकार के नशा करते हैं जिनसे उनके शरीर में सेक्स के प्रति उत्तेजना कम हो जाती है और अपनी पत्नी को इसका सुख नहीं दे पाते। बहुत से तो ऐसे पुरुष भी होते हैं जो तम्बाकू, गुटखा, शराब, चरस, भांग तथा हेरोइन का सेवन करते हैं। इस कारण से उनके मुंह से बदबू आती रहती है और जब वे अपनी पत्नी से संभोग क्रिया करना चाहते हैं तो इससे स्त्री को बहुत अधिक परेशानी होती है । इसे रोकने तथा विरोध करने और समझाने बुझाने से भी जब यह सब ठीक नहीं होता या स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता तो उसे सेक्स क्रिया से नफरत होने लगती है। उसके शरीर के अन्दर से सेक्स की उत्तेजना खत्म हो जाती है।
- कई बार तो परिवार वाले ठीक प्रकार से रिश्ता देखे बिना शादी कर देते हैं। लेकिन यदि लड़के के परिवार वाले दहेज के लालची होते हैं तो वे लड़की को सताने लगते हैं, जिसके कारण से भी स्त्री में सेक्स के प्रति उत्तेजना में कमी होने लगती है। कभी-कभी तो स्त्री के सामने ऐसी स्थिति भी आ जाती है कि लड़के घर वाले उसे ताने तथा जली-कटी बातें सुनाने लगते हैं। इस स्थिति में पति भी अपने घर वालों का साथ देता है तथा पत्नी को प्रताड़ित करता है, कई बार तो स्थिति ऐसी भी उत्पन्न हो जाती है कि या तो परिवार वाले उसकी हत्या कर देते हैं या वह खुद आत्महत्या कर लेती हैं या हालात से समझौता कर लेती हैं। आमतौर पर यह देखा गया कि जो स्त्रियां ऐसी स्थिति में हालात से समझौता कर लेती हैं तथा उनके साथ लगातार ऐसा व्यवाहार होते रहते हैं जिसके कारण से उनका दिल बुझा-बुझा सा रहता है। इन सब कारणों का सबसे ज्यादा प्रभाव उसके सेक्स जीवन पर पड़ता है। वैसे देखा जाए तो मन और तन जब उमंग तथा प्रसन्न चित्त होता है तो ही सभी प्रकार का सुख अच्छा लगता है। इसलिए जब स्त्री के तन और मन पर इस प्रकार के तानों का घाव तथा पति, परिवार वाले के सतायें जाने का दुःख हो जाता है तो उसका मन सेक्स के प्रति बिल्कुल उदास रहने लगता है।
- 7. स्त्रियों की कमशीतलता होने के लिए कुछ ऐसी भी परिस्थितियां उत्तरदायी हो सकती हैं जिसमें पति तथा परिवार के सदस्य उसे दुःखी और प्रताड़ित करते हैं। कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि पुरुष अपनी इच्छा के खिलाफ और परिवार वालों के दबाव के कारण से शादी कर लेता है। लेकिन वह अपनी पत्नी के साथ सेक्स क्रिया नहीं करता या उससे सेक्स क्रिया तो करता है पर मन से उसे स्वीकार नहीं करता है। संभोग क्रिया के समय में वह अपनी मन की नफरत को इतनी बेरहमी से उजागर करता है कि उससे पत्नी नफरत करने लगती है। इस कारण से उसके मन में सेक्स के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है।
- बहुत सी स्त्रियां ऐसी होती हैं जो गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं, वे गर्भधारण करने से डरती हैं, जिसके कारण से वे कामशीलता का शिकार हो जाती हैं। इन स्त्रियों को गर्भधारण से इसलिए डर लगता है कि उससे शरीर तथा चेहरा खराब हो जाता है। उनके मन में यह विचार होता है कि गर्भधारण होने के बाद स्त्री का शरीर बेडौल हो जाता है तथा बच्चे को स्तनपान कराने से स्तन में ढीलापन आ जाता है। इसी भय के कारण से वह पति के साथ भी सेक्स करने से डरती है तथा इस रोग से पीड़ित हो जाती है। उनका यह विचार पूरी तरह से गलत है क्योंकि शादी के बाद सेक्स क्रिया का आनन्द लेकर भी यदि वह अपने खान-पान तथा व्यायाम के द्वारा शरीर को स्वस्थ तथा सुन्दर रख सकती है।
- बहुत सी स्त्रियों को जब यह पता चलता है कि उसका पति नपुंसक है तो उन्हें बहुत अधिक दुःख होता है। इस कारण से जब उसे सेक्स का सुख नहीं मिल पाता तो वह चोरी-छिपे किसी अन्य पुरुष को ढूढ़ती है जो उसे सेक्स का सुख दे सकें लेकिन जब उसे कोई अन्य पुरूष भी नहीं मिलता तो अपने पति को बहुत अधिक कोसती है और उनके दम्पति जीवन में भी कलह होने लगता है। इन सब करणों से उसके मन में सेक्स के प्रति नाराजगी उत्पन्न होने लगती है और अंत में वह हालात से समझौता कर लेती है तथा कामोत्तेजना का शिकार हो जाती है।
- बहुत सी स्त्रियों को शादी होने पर यह पता चलता है कि उसका पति अनाड़ी है, उसे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता। इस कारण से जब वह अपने पति से सेक्स क्रिया करना चाहती है तो उसका पति ठीक ढंग से उससे सेक्स नहीं कर पाता और वह सेक्स के सुख से अतृप्त रह जाती है। जब पति को उसके द्वारा कई बार समझाने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकलता तो उसके मन में धीरे-धीरे सेक्स क्रिया के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है। यहां तक कि उनके दम्पति जीवन में क्लेश होना भी शुरू हो जाता है। जिसके कारण कभी-कभी तो यह देखा गया है कि वे तलाक लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं या एक-दूसरे से अलग-अलग रहने लगते हैं। वैसे यह भी देखा गया है कि बहुत सी स्त्रियां सेक्स के बारे में कुछ बोल नहीं पाती हैं। इस स्थिति में पति भी उसे सेक्स सुख दे नहीं पाता जिसके कारण से उसके मन में सेक्स के प्रति अरुचि उत्पन्न होने लगती है और वह कामोत्तेजना कम होने का शिकार हो जाती हैं।
- बचपन के समय में ही कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं जो किसी पुरुष को पसंद कर लेती हैं और यदि किसी कारण से उसका विवाह उस लड़के के साथ नहीं हो पाता, अर्थात मनचाहा पुरुष न मिल पाने के कारण से उसकी कामोत्तेजना कम होने लगती है। यह रोग उसे इसलिए होता है कि वह जिस पुरुष को दिलोजान से प्यार करती है तथा उसके साथ सातों जन्म जीने मरने का कसम खाती है, उसके साथ अपने भविष्य के सपने बुनती हैं। उससे किसी कारणवश विवाह न हो पाने से वह दिल ही दिल दुःखी होती रहती है। जब उसका विवाह किसी अन्य पुरुष के साथ हो जाता है तो वह उसे अपनी जिंदगी में पसंद नहीं कर पाती। इसलिए ही वह पति के साथ सेक्स क्रिया के समय एकदम ठंडी पड़ी रहती है। इस स्थिति में वह अपना शरीर तो पति को सौंप देती है लेकिन मन उसका अपने पुराने प्रेमी के पास ही रहता है। बहुत से लोगों का यह विचार है कि शादी के बाद स्त्रियों की ऐसी समस्या खत्म हो जाती है और अपने पुराने प्रेमी को भुला देती है लेकिन कुछ स्थिति में ऐसा भी देखा गया है कि समस्या ठीक न होकर बढ़ जाती है। कुछ मामले में तो ऐसा भी देखा गया है कि लड़कियां आत्महत्या कर लेती हैं या अपने प्रेमी के साथ अवसर पाकर शर्मों हया को छोड़कर भाग जाती हैं। बहुत सी स्त्रियां तो ऐसी भी होती हैं जो मानसिक रूप से कभी भी अपने पति को स्वीकार नहीं कर पाती हैं। इस समस्या के बारे में बहुत से चिकित्सकों का यह भी कहना है कि बहुत सी स्त्रियां तो ऐसी भी हैं जो अपने प्रेमी से इतना अधिक प्यार करती हैं कि किसी अन्य पुरुष के साथ शादी होने के बाद पहली रात को पति द्वारा सेक्स करने को बलात्कार समझती हैं और वह उसका विरोध करती हैं। जो इस तरह की स्थिति से समझौता नहीं कर पाती वह हालात से समझौता कर लेती हैं लेकिन फिर भी सेक्स के बारे में कामोत्तेजना कम होने का शिकार हो जाती हैं।
- विवाह के बाद जब स्त्रियां पहली रात पति के साथ सेज पर होती हैं और आने वाले पल के बारे में सोचती हैं तो वह मन ही मन अधिक परेशानी महसूस करती हैं। उसके न कहने के बावजूद भी जब पति सेक्स क्रिया करने के लिए जबर्दस्ती करता है तो स्त्री को लगता है कि वह कोई पाप कर रही है, ऐसा करना नहीं चाहिए, यह गलत बात है। इस प्रकार की भावना मन में आते ही उसको काफी डर लगने लगता है जिसके कारण उसके शरीर की सारी गर्मी जो सेक्स क्रिया करने के लिए होनी चाहिए, वह कम होने लगती है और बिना किसी कारण से उसका सारा शरीर पुतले के समान हो जाता है और अपने शरीर को पति को समर्पण कर देती है। लेकिन सेक्स क्रिया में वह किसी प्रकार का सहयोग नहीं देती है। ऐसी स्त्रियों को न ही सेक्स का आनन्द और न ही उत्तेजना महसूस होती है। इस स्थिति में पति को पता चल जाता है कि उसकी पत्नी को यह समस्या है। इस समय यदि उसका पति उसका हल सही से निकाल देता है तो वह कुछ दिनों में ठीक हो जाती है नहीं तो उसकी यह समस्या बढ़ती जाती है।
- बहुत सी स्त्रियां जब यौवनावस्था में प्रवेश करती हैं तो उनके मन में यह धारणा बैठ जाती है कि सेक्स करना पाप है, यह एक गंदा कार्य है, इसके बारे में बात नहीं करनी चाहिए, इसको करते हुए मुझे कोई देख लेगा तो क्या कहेगा आदि। इस प्रकार की भावना सगे संबंधियों के द्वारा बचपन से ही बच्चों के दिमाग में बिठानी शुरू कर देते हैं। ये भावना ही समय के साथ-साथ लड़कियों के मन में बैठनी शुरू हो जाती है। ऐसी लड़कियों की जब शादी होती है तो वे अपने पति के साथ सेक्स क्रिया करने से कतराती हैं और इसका प्रभाव साफ से दिखाई पड़ता है। देखा जाए को इस प्रकार मन की भावना उस समय और भी तेज हो जाती है जब उसका पति सेक्स क्रिया करने के लिए छेड़-छाड़ करता है। वैसे देखा जाए तो आज के समय में इस प्रकार के कारण ठीक ढंग से दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि समय तेजी के साथ बदल रहा है लेकिन आज भी बहुते से ऐसे परिवार हैं जो अपने बच्चे को सेक्स के बारे में इस प्रकार की शिक्षा देते हैं कि बेटा ये गंदी बात है, ऐसा मत करो, सेक्स गंदी बात होती है, इसे न करें आदि।
- वैसे देखा जाए तो स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के लिए पति को ही मुख्य रूप से उपाय अपनाना चाहिए क्योंकि पति ही अपनी पत्नी को अच्छी तरह से समझ सकता है। पति को पहले पत्नी से खुलकर बातें करनी चाहिए कि तुम किस कारण से सेक्स क्रिया से डरती हो और तुम्हें कौन सा दुःख है। यह सब जानकर उसे प्रयास करना चाहिए कि इसका समाधान क्या है। इसके बाद किसी सेक्स विशेषज्ञ से सलाह लेकर उपचार करना चाहिए तथा उसके इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। पत्नी को जितना हो सके उतना उस पर प्यार न्यौछावर करना चाहिए। ऐसा करने से ही उसकी पत्नी का यह रोग ठीक हो सकता है।
- यदि पुरुष को यह पता लग जाए की मेरी ही कुछ गलतियों के कारण से मेरी पत्नी को कामशीतलता का रोग हो गया है तो उसे अपनी गलती के लिए पत्नी से माफी मांगना चाहिए और कहना चाहिए कि आगे से इस प्रकार की गलती नहीं होगी।
- कुछ स्थिति ऐसी भी होती है जिसमें स्त्री स्वयं ही इस रोग की दोषी होती है। इसके लिए स्त्री को चाहिए कि वह अपने दोष को दूर करे क्योंकि दोष को दूर करने से यह रोग भी स्वयं अपने आप मिट जायेगा।
- हमें यह जान लेना चाहिए कि पति-पत्नी का संबंध जन्म जन्मांतर का होता है। इसलिए पत्नी के किसी भी प्रकार के कष्ट को दूर करने के लिए पति का पूरा दायित्व बनता है। यदि पति को यह पता चल जाए की मेरी पत्नी को किसी प्रकार के मानसिक कष्ट के कारण से ही कामशीतलता रोग हुआ है तो उसे उसके कष्ट के कारणों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। उसे प्रेम और प्यार से अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहिए। कभी-कभी तो यह भी देखा गया है कि पत्नी की समस्या से पति परेशान होकर उससे अपना पीछा छुड़ाना चाहता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि पत्नी उसका जन्म-जन्मांतर की साथी होती है। पत्नी के इस रोग की किसी भी स्थिति में पति को अपनी जिम्मेदारियों से दूर नहीं भागना चाहिए क्योंकि कामशीतलता कोई ऐसा रोग नहीं है जो पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता है। आज बहुत से ऐसे चिकित्सा क्षेत्र है जिनका उपयोग करके स्त्रियों की कामशीतलता का उपचार किया जा सकता है जैसे- आधुनिक अंगमर्दक चिकित्सा, होम्योपैथिक चिकित्सा, आर्युर्वैदिक चिकित्सा, ऐक्यूप्रेशर चिकित्सा, मसाज चिकित्सा आदि।
- स्त्रियों की कामशीतलता रोग को दूर करने के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि पुरुष व स्त्री दोनों में सेक्स की इच्छा को उत्पन्न करने के लिए हार्मोन टेस्टोस्टोरोन मुख्य रूप से कार्य करता है और स्त्रियों में यह हार्मोन अधिवृक्क ग्रंथियों के द्वारा स्रावित होता है। जब स्त्रियों में इस हार्मोन की कमी हो जाती है तो इसके साथ ही कामशीतलता की भी कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में पति को चाहिए कि अपनी पत्नी का उपचार किसी अच्छे चिकित्सक से कराना चाहिए जिसे स्त्रियों के इस रोग को ठीक करने का विशेष रूप से अनुभव हो। इसके साथ-साथ पति को चाहिए कि अपनी पत्नी का विशेष रूप से ख्याल रखे तथा इस रोग के होने के कारणों को भी दूर करना चाहिए।
- स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के लिए आज इसका सफल उपचार ढूंढ लिया गया है। जरूरत तो बस इतना है कि पति अपनी पत्नी का विशेष रूप से ख्याल रखे तथा चिकित्सा में पूरा साथ दे। कुशल चिकित्सक अपने अनुभवों के द्वारा स्त्रियों की मानसिक तथा शारीरिक कारणों को दूर कर सकता है और औषधीय चिकित्सा के द्वारा पूर्ण रूप से ठीक कर सकता है। इसके साथ ही पति को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि चिकित्सक को अपनी पत्नी के रोग के बारे में खुलकर बताए। क्योंकि कामशीतलता रोग होने का सबसे मुख्य कारण मनोवैज्ञानिक होता है और जब तक चिकित्सक को ठीक रूप से रोग का कारण पता नहीं चलेगा तब तक वह ठीक तरह से उपचार नहीं कर पायेगा।